हिन्दी गीत शीर्षक:जो तू अखियों के सामने नहीं रहना
गायकार : नुशरत फ़तेह अली खान
जो तू अखियों के सामने नहीं रहना तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे.....
बेचैन दिल में तड़प थी तुम्हारी,
मेरे सपनों में भी झलक थी तुम्हारी
जो तो दिल को सुकून नहीं देना ,
तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे
जो तू अखियों के सामने नहीं रहना तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे.....
तेरे इंतज़ार में मैं भटकता रहा,
उम्र भर तुझे ही में ढूंढ़ता रहा
जो तू मुझे तेरा अपना नही कहना,
तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे
जो तू अखियों के सामने नहीं रहना तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे .....
सजदे किए है जी मैंने तेरे नाम के,
आज सामने है तो अपना बना दे
जो तू मुझे तेरा अपना नहीं ,
तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे
जो तू अखियों के सामने नहीं रहना तो बिबा मेरा दिल मोड़ दे .....
Sunday, October 7, 2007
घुंघरू की तरह
हिन्दी गीत शीर्षक: घुंघरू की तरह
हिन्दी फ़िल्म : चोर मचाये शोर
गायकार : किशोर कुमार
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
कभी इस पग मे
कभी उस पग मैं
बंधता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
कभी टूट गया
कभी तोड़ा गया
सौ बार मूझे
फिर जोडा गया
कभी टूट गया
कभी तोड़ा गया
सौ बार मुझे
फिर जोडा गया
यूँही लूट लूट के और मिट मिट के
बनता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
मैं करता रहा
औरों की कही
मेरी बात मेरे
मन ही मे रही
मैं करता रहा
औरों की कही
मेरी बात मेरे
मन ही मे रही
कभी मंदिर मे
कभी महफिल मे
सजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
अपनों मे रहे
या गैरों मे
घुंघरू की जगह
तो है पैरों मे
अपनों मे रहे
या गैरों मे
घुंघरू की जगह
तो है पैरों मे
फिर कैसा गिला
जग से जो मिला
सहता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
बजता ही रहा हूँ मैं
हिन्दी फ़िल्म : चोर मचाये शोर
गायकार : किशोर कुमार
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
कभी इस पग मे
कभी उस पग मैं
बंधता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
कभी टूट गया
कभी तोड़ा गया
सौ बार मूझे
फिर जोडा गया
कभी टूट गया
कभी तोड़ा गया
सौ बार मुझे
फिर जोडा गया
यूँही लूट लूट के और मिट मिट के
बनता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
मैं करता रहा
औरों की कही
मेरी बात मेरे
मन ही मे रही
मैं करता रहा
औरों की कही
मेरी बात मेरे
मन ही मे रही
कभी मंदिर मे
कभी महफिल मे
सजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
अपनों मे रहे
या गैरों मे
घुंघरू की जगह
तो है पैरों मे
अपनों मे रहे
या गैरों मे
घुंघरू की जगह
तो है पैरों मे
फिर कैसा गिला
जग से जो मिला
सहता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
बजता ही रहा हूँ मैं
तुझसे नाराज़ नही जिन्दगी
हिन्दी गीत शीर्षक : तुझसे नाराज नही जिन्दगी
हिन्दी फ़िल्म: मासूम
तुझसे नाराज़ नही जिन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं
ओ परेशान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही ना था, दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराऊँ तो, मुस्कुराने के कर्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे कर्ज़ रखा है
तुझसे ...
आज अगर भर आयी है, बूँदें बरस जायेंगी
कल क्या पता इनके लिए आखें तरस जाएँगी
जाने कहाँ गम कहाँ खोया
एक आंसू छुपके रखा था
तुझसे ...
जिन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धुप मैं मिले छाँव के ठंडे साए
ओ तुझसे ...
हिन्दी फ़िल्म: मासूम
तुझसे नाराज़ नही जिन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं
ओ परेशान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही ना था, दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराऊँ तो, मुस्कुराने के कर्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे कर्ज़ रखा है
तुझसे ...
आज अगर भर आयी है, बूँदें बरस जायेंगी
कल क्या पता इनके लिए आखें तरस जाएँगी
जाने कहाँ गम कहाँ खोया
एक आंसू छुपके रखा था
तुझसे ...
जिन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धुप मैं मिले छाँव के ठंडे साए
ओ तुझसे ...
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