Sunday, October 7, 2007

घुंघरू की तरह

हिन्दी गीत शीर्षक: घुंघरू की तरह
हिन्दी फ़िल्म : चोर मचाये शोर
गायकार : किशोर कुमार

घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
कभी इस पग मे
कभी उस पग मैं
बंधता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं

कभी टूट गया
कभी तोड़ा गया
सौ बार मूझे
फिर जोडा गया
कभी टूट गया
कभी तोड़ा गया
सौ बार मुझे
फिर जोडा गया
यूँही लूट लूट के और मिट मिट के
बनता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं

मैं करता रहा
औरों की कही
मेरी बात मेरे
मन ही मे रही
मैं करता रहा
औरों की कही
मेरी बात मेरे
मन ही मे रही
कभी मंदिर मे
कभी महफिल मे
सजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं

अपनों मे रहे
या गैरों मे
घुंघरू की जगह
तो है पैरों मे
अपनों मे रहे
या गैरों मे
घुंघरू की जगह
तो है पैरों मे
फिर कैसा गिला
जग से जो मिला
सहता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह
बजता ही रहा हूँ मैं
बजता ही रहा हूँ मैं





1 comment:

Rajesh Jaiswal said...

bahut hi achha geet hai jiska koi jabab nahi iske andar bahut vedna chupi huee hai.